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एक लड़की की जिंदगी....
एक लड़की की जिंदगी भी कितनी बेङियों से जकङी होती है,
कुछ करने जाओ तो दुनिया की कितनी लाज-शरम होती है,
सबसे पहली बेङी तो मां-बाप की ही होती है,
क्योंकि उनको अपने दूध और खून की installment जो लेनी होती है,
दुसरी बेङी समाज की होती है,
जिसको एक लड़की सिर्फ एक पिंजरे में ही सुहाती है,
तीसरी बेङी उन रीति-रिवाजों की होती है,
जिनमे एक लड़की सबसे आखिरी में खड़ी होती है,
चौथी बेङी उसके लड़कपन की होती है,
जिसमे पूरी दुनिया को जैसे anxiety हो जाती है,
पांचवी बेङी उसकी शादी की होती है,
जिसमे उसके सारे अरमानों की बली दी जाती है,
छटी बेङी उसके पति की होती है,
जिसको एक पत्नी सिर्फ बुर्के में ही पसंद आती है,
सातवीं बेङी उसके ससुराल की होती है,
जिसमे एक लड़की कई ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबा दी जाती है,
आठवीं बेङी उसके बच्चों की होती है,
जिसमे उससे सिर्फ बलिदानी ही मांगी जाती है,
और इन सब पर भी अगर उसका तलाक हो जाए,
तो नवमी बेङी इस दुनिया की होती है,
जिसमे उसे फिर कभी कोई जगह नहीं मिल पाती है,
क्योंकि हर भेङीये की नज़र सिर्फ उसी पर टिक जाती है,
ऐसे में आखिरी क्या करें एक लड़की?
क्योंकि कभी-कभी तो उसका कुछ भी करना सिर्फ एक मुसिबत ही बन जाती है....
© Unknown Flyer