ख़्वाब और ख़्याल
ख़्याल है कि थमते ही नही
ख़्वाब है कि सुनते ही नही
बस अपनी रौ में बहते हैं
किसी की मानते नही बस ख़ुद की कहते हैं
ख़ूबसूरत बहुत है ये ख़्वाब मगर सच नही ...
ख़्वाब है कि सुनते ही नही
बस अपनी रौ में बहते हैं
किसी की मानते नही बस ख़ुद की कहते हैं
ख़ूबसूरत बहुत है ये ख़्वाब मगर सच नही ...