...

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तेरे शहर
आज तू मुझे खो जाने दे ,
उन सर्दी में मेरा भी दम घुटता है ।
आज बस तू गुजर जाने दे ,
शहर तेरा है , पर साथ मेरा छूटता है ।।

रोक ले तेरे शहर को ,
खामोका यादों की बारिश कराता है । ।
पता है तुझे और लौटना नही है ..
मुसाफिर हूं , फिर भी
मुझसे इंतज़ार कराता है ।।

क्या पता तू कब वापिस आ जाए !! ..
स्वागत में तेरे , ये बरसात कराता है ।।
हवाओं से तेरी महक तक छूट गई ,
फिर भी गलियों में ,
मुझसे बेफिजूल सवालात कराता है ।।

उस पुरानी दरगाह में , जाने क्यों
मुझसे इबादत कराता है ।।
तेरे शहर को मेरी सब खबर है ..
तभी तो जान बूझ कर ..
खुदा से मेरी बगावत कराता है ।।


#Sahar #tum_aur_main #pyar_ke_alfaz #isqteramera