...

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हमारे खास दिन..
आज की रात
तुम अपनी गोद मे सुला लेना
अपना सोना समझके...
तेरी बाहें बनेगी,
मेरे अरमानों का हिंडोला..
तेरे आंचल मे मै
हर दर्द को रहूँ भूला...।
सात ऋषियों और
नौ नवग्रहों से
तुम दुआ यही करना
जन्मों तक
तुम्हें अपने राज के नाम का सिंदूर
अपने माथे पे सजाने को मिले...
देखता हूँ मै जब तुम्हारे चेहरे को
तो फल पाता हूँ चारो धाम के
होठो के मधुर मिलन से
सुख पाता हूँ गंगाजल सा
सौ बार शीश झुकाया हूँ उस
मनमोहन मुरारी का
महका के रख दिया जो
उनकी हर तैयारी का ।
हे मेरे दिल के सरोवर मे
विहार करनेवाली हंसिनी ...
तुम्हारे सुहाग और तुम्हारे प्रेम मे
समाया है सिर्फ बंदगी ही बंदगी
आज का ये शुभदिन
यूँ ही जन्मो तक आता रहे
प्यार रहे प्रेम रहे मुहब्बत रहे
और रहे हमारे जीवन मे सिर्फ इश्क़
मासगिरह की ये दिनांक
तुम्हारे कदमों के निशान
हरदम मेरे अंगना को शोभित रहे
मेरी सनम
मेरे प्रेम पर सिर्फ तुम्हारा ही हक हो
एकमात्र तुम्ही हकदार हो
तुम्हारा रूप गागर विशाल है
मेरा प्रेम का सागर भी
अनंत अथाह और असीम है
मेरी मनमोहीनी...
सुहाग से जगमगाती रहो
( एक प्रेमी पति के दिल के जज्बात है
अपनी सहचरी के लिए)