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आदमी की आत्म कथा
आदमी हमेशा शिकार दो–धारी तलवार का होता है छलक जाए कभी गम बनके आंसू अगर तो कहती है दुनिया कि देखो मर्द होकर बच्चों सा रोता है
और पी ले गम को जो चुपचाप अगर तो कहती है पत्थर दिल हमें ये दुनिया, इन्हें कहां कुछ होता है।
इसलिए आदमी लाख दर्द और गम लिए दिल में उन्हें चुपचाप ढोता है।


© Ankush Sharma