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नींद तुम आना नहीं
हुई जाती बोझिल आँखे भले-नींद पर तुम तरस खाना नही-देखो भूल से भी आना नही-वो नटखट हैं निष्ठुर भी- देखो जो आओ तो उन सपनो को साथ लाना नही-दिन यूं ही थका सा रोज़ है- अब नये सपनो से उसे सताना नहीं -सोने दो भले खुली आंख उसे-अब फिर नई हसरतो का बिछॉना तुम बिछाना नही-नींद देखो तुम आना नही -
© mayank