Baarish...
तू मुझसे मिलती है
कुछ अपनी सी लगती है
मेरी ज़िन्दगी जैसे तेरे
होने से उभरती है
तेरी हर इक बूंद मुझपर
वह असर कर जाती है
जैसे किसी ज़ख्म पर
कोई मलहम लगा रहा हो
तू सबकी हो कर भी
क्यों मुझे बस अपनी सी लगती है
मोहब्बत होती उस हर पल
जिस पल तू बरसती है
भीगी मिट्टी की खुशबू
जो तू अपने संग लाती है
सच कहती हूं
बचपन की सारे यादें ताज़ा हो जाती है
याद है मुझे आज भी
वह गलियों में निकलना
बहते हुए पानी में
उन कागज की कश्तियों का चलना
लोग बचने को तुझसे
आज फिर सe छाते निकाल रहे हैं
और मैं पगली सी
तुझसे मिलने के बहाने जुटा रही हूं
आज फिर से मुझपे
तू बरस कुछ इस तरह
खुल जाए हर छोर
रिहा हो हर ज़र्रा।।।
#DeepiSays
कुछ अपनी सी लगती है
मेरी ज़िन्दगी जैसे तेरे
होने से उभरती है
तेरी हर इक बूंद मुझपर
वह असर कर जाती है
जैसे किसी ज़ख्म पर
कोई मलहम लगा रहा हो
तू सबकी हो कर भी
क्यों मुझे बस अपनी सी लगती है
मोहब्बत होती उस हर पल
जिस पल तू बरसती है
भीगी मिट्टी की खुशबू
जो तू अपने संग लाती है
सच कहती हूं
बचपन की सारे यादें ताज़ा हो जाती है
याद है मुझे आज भी
वह गलियों में निकलना
बहते हुए पानी में
उन कागज की कश्तियों का चलना
लोग बचने को तुझसे
आज फिर सe छाते निकाल रहे हैं
और मैं पगली सी
तुझसे मिलने के बहाने जुटा रही हूं
आज फिर से मुझपे
तू बरस कुछ इस तरह
खुल जाए हर छोर
रिहा हो हर ज़र्रा।।।
#DeepiSays