एक मां....
एक माँ ऐसी भी होती है
घुंगरू की जंजीर में बंधी होती है
ज़माने की जेल में उसे तबायफ
रहने के सजा मिली होती है !
दिल उसका खून के आंसु रोता है
आँखे सहरा जैसे सूख गयी होती है
अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए
सपने संजो रही होती है ! एक माँ ……..
समाज के ठेकेदारों ने ऐसा कर दिया
एक बेबुस को वैश्या कर दिया
अपने बच्चे को ख़ुशीया देने वास्ते
हर जुल्मो – सितम सह रही होती है!
तू कल जब बड़ा हो जायेगा
अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा
तू कही उस माँ को छोड़ न दे
इस डर से मेरी कलम आगे लिख पति है ! एक माँ …….
© sanjivani giram
घुंगरू की जंजीर में बंधी होती है
ज़माने की जेल में उसे तबायफ
रहने के सजा मिली होती है !
दिल उसका खून के आंसु रोता है
आँखे सहरा जैसे सूख गयी होती है
अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए
सपने संजो रही होती है ! एक माँ ……..
समाज के ठेकेदारों ने ऐसा कर दिया
एक बेबुस को वैश्या कर दिया
अपने बच्चे को ख़ुशीया देने वास्ते
हर जुल्मो – सितम सह रही होती है!
तू कल जब बड़ा हो जायेगा
अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा
तू कही उस माँ को छोड़ न दे
इस डर से मेरी कलम आगे लिख पति है ! एक माँ …….
© sanjivani giram