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लब इस कारण रुक जाते
आतुर है लब तक आने को, पर रुक जाती चिंतन कर के। जो है वो कही खो ना जाये, दब जाती भय चिंतन कर के।। भय बड़ा भयानक होता है, अच्छे अच्छे नर हिल जाते। अंदेशे अनहोनी नही हो, बस लब इस कारण सिल जाते।। बोले तो बोलेगा ऐसा तुम, उनसे आखिर क्यों बोला। जो पट हिरदे के बंद रहते, उनको स्वार्थवश क्यों खोला।। है बहुत विवशता ज्ञात...