क्या पाया क्या खोया
क्या चाहा क्या पाया कुछ समझ नहीं आया
मोहब्बत में बनने चले थे शरीफ अपनी ही खुशियों को मैंने गवाया
खफा हूं मैं उससे अन्दर ही अन्दर बताने की हिम्मत नही कर पाया
अकेले ही जलता हूं खुद में बिखरता हूं खुद भी अब तक मैं समझा नहीं पाया
मोहब्बत हैं इतनी या जलन की हैं आग उसको भी अब तक दिखा नही पाया
सोचता हूं जब मैं खुद को उस कोने में उसको तो मैंने सही ही, हैं पाया
तकलीफ हमें थी किस बात पर उसको भी आज तक बोल नहीं पाया
बता दें ए मोहब्बत दिया क्या तूने तेरे प्यार में भी मैंने दर्द ही, है पाया
मोहब्बत में बनने चले थे शरीफ अपनी ही खुशियों को मैंने गवाया
खफा हूं मैं उससे अन्दर ही अन्दर बताने की हिम्मत नही कर पाया
अकेले ही जलता हूं खुद में बिखरता हूं खुद भी अब तक मैं समझा नहीं पाया
मोहब्बत हैं इतनी या जलन की हैं आग उसको भी अब तक दिखा नही पाया
सोचता हूं जब मैं खुद को उस कोने में उसको तो मैंने सही ही, हैं पाया
तकलीफ हमें थी किस बात पर उसको भी आज तक बोल नहीं पाया
बता दें ए मोहब्बत दिया क्या तूने तेरे प्यार में भी मैंने दर्द ही, है पाया