...

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परीक्षा

कुछ सपने
पलकों पर सजाए
कल को संवारने
अपना आज गंवाए
एक एक पल
वो इंटरनेट ब्राउजिंग
किताबें लेक्चर्स
न जाने कितना कुछ
दिमाग में फीड करते करते
दिन बीते

कुछ अरमान
कुछ बनके दिखाए
कुछ करके दिखाए
हम भी कुछ हैं
यूं ही नहीं हमने
किताबों की दुनिया
में ये साल बिताए

कुछ रुपए
पिताजी से मांगे
कभी खुद बचाए
कभी दोस्तों से उधार मांगे
कभी पार्ट टाइम जॉब
से कमाए
फीस भरी...