शीर्षक:- "लहराते वो खेत"
शीर्षक:- लहराते वो खेत
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जहाँ की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट...
कभी आकर देखना गाँव के लहराते वो खेत....!
मिट्टी के मिठास को शोख, ज़िद्द की जमीन पे उगी...
इच्छाओं के ईख से जन्मी, मेहनत की वो लेख....
जहाँ की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट...
कभी आकर देखना गाँव के लहराते वो खेत....!
पानीदार कुओं पर चलते, रहटो की आवाज़...
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जहाँ की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट...
कभी आकर देखना गाँव के लहराते वो खेत....!
मिट्टी के मिठास को शोख, ज़िद्द की जमीन पे उगी...
इच्छाओं के ईख से जन्मी, मेहनत की वो लेख....
जहाँ की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट...
कभी आकर देखना गाँव के लहराते वो खेत....!
पानीदार कुओं पर चलते, रहटो की आवाज़...