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शीर्षक - रंग खेले।
शीर्षक - रंग खेले।
रंग खेले मोर कन्हाई।
रंग खेले देखो रघुराई।
हो रही फूलों की वर्षा,
है अवध में होली आई।
बाबा खेले मसाने में।
लगे भसम रमाने में।
औघड़ संग बैठे बाबा,
है व्यस्त रंग उड़ाने में।
मथुरा खेले काशी खेले,
देश का हर वासी खेले।
अयोध्या भी झूमे देखो,
सबके सब उपासी खेले।
कहीं पिचकारी फेंके रंग।
कहीं निकले झुंड संग-संग।
खोजे सब सबको छुपके,
सिर चढ़ बोले ये रंग उमंग।
पानी की बौछार से भीगे,
अंग-अंग यहाँ हर किसी के।
कोई ढूँढ़े साथी अपना,
उड़ाके हवा में रंग ख़ुशी के।
बहती हुई पवन पुरवाई,
ख़ुशियों की रंग है लाई।
मस्ती में हैं चूर सबके सब,
है होली की सबको बधाई।
©Musickingrk
#happyholi #होली
रंग खेले मोर कन्हाई।
रंग खेले देखो रघुराई।
हो रही फूलों की वर्षा,
है अवध में होली आई।
बाबा खेले मसाने में।
लगे भसम रमाने में।
औघड़ संग बैठे बाबा,
है व्यस्त रंग उड़ाने में।
मथुरा खेले काशी खेले,
देश का हर वासी खेले।
अयोध्या भी झूमे देखो,
सबके सब उपासी खेले।
कहीं पिचकारी फेंके रंग।
कहीं निकले झुंड संग-संग।
खोजे सब सबको छुपके,
सिर चढ़ बोले ये रंग उमंग।
पानी की बौछार से भीगे,
अंग-अंग यहाँ हर किसी के।
कोई ढूँढ़े साथी अपना,
उड़ाके हवा में रंग ख़ुशी के।
बहती हुई पवन पुरवाई,
ख़ुशियों की रंग है लाई।
मस्ती में हैं चूर सबके सब,
है होली की सबको बधाई।
©Musickingrk
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