"चला आया बिल, टपरी डोली की दर,"
"आँख खुलते ही, तलब तेरी ज़रूर होती है,
तू नहीं तो वो सुबह, बड़ी बेनूर होती है,
तेरे होने से है रौशन, हर सुबह हर शाम,
वरना छोड़ देते हैं लोग, करना कोई काम,
होती तबियत हरी, कोई पूछ ले झूठ से,
आ जाती है ताक़त, तेरी एक घूंट से,
सुना तू ठीक नहीं है, सेहत की नज़र,
छोड़ देते तुझको, ना करते तेरी क़दर,
पर चला आया बिल, टपरी डोली की दर,
जब दिखाया तूने अपनी, ख़ूबसूरती का हुनर,
हो शाम ग़र हम सफ़र, हमदम के साथ,
या दोस्तों का झुण्ड, गली नुक्कड़ के पास,
आए जो मेहमान, हँसी माहौल के साथ,
होती है नवाज़िश तेरी, बड़ी ख़ूबसूरती के साथ,
पकोड़े, नमकीन, बिस्कुट सब हैं अधूरे,
सफ़ेद प्याली में तेरे साथ, हो जाते हैं पूरे,
यह ज़िंदगी तो अब, तेरे साथ ही चलेगी,
तू कल थी, आज है और कल भी रहेगी,"
"चाय"
ASHOK HARENDRA
© into.the.imagination
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