...

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सवाल...
सफर में कशमकश का तूफान
तो वक्त भी लगता बेईमान सा..
कुछ नाराज़गियों का सैलाब
तो मिज़ाज भी लगता बेहिसाब सा..
कुछ अनकहे पहलुओं का सवाल
तो वह दिखता दूर ओझल सा..
आने वाले कल की सोच में घिरा
वह बवंडर में ही उलझा सा..
कुछ नया करने की सोच में
बेवजह ही सब चक्रव्यूह सा..
वक्त के बदलने के इंतजार में
बस यूं ही बेजान दिखता सा..
हर रोज वक्त यूं ही बहता
पर मौसम ना रहा एक सा..

© khushaboo
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