तुम सा नहीं देखा
अहल ए शहर में हमने भी होते हुए हर तमाशा देखा
घूम आएं हैं हम सारा ज़माना पर तुम सा नहीं देखा
यूं तो तुम बात न करो उल्फ़त की और मोहब्बत की
उतर जाऊं रुह में ऐसा आंखों में तेरी दरिया नहीं देखा
देख रखे...
घूम आएं हैं हम सारा ज़माना पर तुम सा नहीं देखा
यूं तो तुम बात न करो उल्फ़त की और मोहब्बत की
उतर जाऊं रुह में ऐसा आंखों में तेरी दरिया नहीं देखा
देख रखे...