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बाहों में भर लो
बड़े उलझे हैं ये हालात
खुद से जंग हो जैसे
है टूटी डोर झोंकों से
कटी पतंग हो जैसे
कहीं तो रौशनी होगी
कही होगा किनारा भी
जहां सब भूल के शिकवे
मुझे फिर आजमाओगे
मिटा दूं खुद को फिर से बस
जरा भर ले तूँ बाहों में
फकत इतनी सी हसरत
सांसों को थामा है उम्र भर
© eternal voice नाद ब्रह्म
खुद से जंग हो जैसे
है टूटी डोर झोंकों से
कटी पतंग हो जैसे
कहीं तो रौशनी होगी
कही होगा किनारा भी
जहां सब भूल के शिकवे
मुझे फिर आजमाओगे
मिटा दूं खुद को फिर से बस
जरा भर ले तूँ बाहों में
फकत इतनी सी हसरत
सांसों को थामा है उम्र भर
© eternal voice नाद ब्रह्म
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