आते-जाते ख्याल!!
ज़िन्दगी के सफर में गुज़र जातें है कई मकाम,
जैसे कोई द्वारपाल करता हो किसी को सलाम!!
मेहमान आए, लुत्फ उठाएं, फिर चलें अपने रास्ते,
न किसी से बैर, न किसी के किसी से वास्ते!!
लेकिन इन आते जाते खूबसूरत आवारा सड़को पे,
कभी-कभी इत्तफ़ाक से कितने अनजान लोग
मिल जाते हैं,
उनमे से कुछ लोग भूल जातें हैं, कुछ याद रह जातें है!!
और उन्हीं यादों के पन्नो को चीर कर आज तुम्हारी याद आई है,
बड़े दिनों के बाद, फिर वही रंग, वही रूप, वही चाल, वही ढाल,
बदला है तो सिर्फ तुम्हारा स्वभाव, मेरा बिता कल था वो, मेरा पहला प्यार!!
मिले थे वो हमें इत्तेफाक से, मिले थे हम उन्हें इत्तफ़ाक से,
और अपने से लगने लगे पहली ही मुलाकात से!!
लेते थे कसमे हम, करते थे लाखो वादें,
कैसे भूलूँ वो बीते पल, वो भीगी-भीगी यादें!!
हो चांदनी जब तक रात, देता है हर कोई साथ, तुम मगर अंधेरों में ना छोड़ना मेरा हाथ!!
हर वक्त आंखों में आँखें डाले, लिए हाथो में हाथ,
मांगे रब से बस एक ही दुआ, थम जाए ये पल, ना बीते ये रातें!!
पहले प्यार, अब लगे प्यार भरे धोखे सा,
पहले वादें, अब लगे किसी प्यारे फरेब सा!!
पर जब देखा पीछे पलट कर, वो लम्हे...
वो बाते, कोई ना जाने, थी कैसी रातें,
वो बरसातों की यादें....
उन यादों को बरसात के साथ बहने देने में ही भलाई नज़र आती है!!
©siddharth4_air
जैसे कोई द्वारपाल करता हो किसी को सलाम!!
मेहमान आए, लुत्फ उठाएं, फिर चलें अपने रास्ते,
न किसी से बैर, न किसी के किसी से वास्ते!!
लेकिन इन आते जाते खूबसूरत आवारा सड़को पे,
कभी-कभी इत्तफ़ाक से कितने अनजान लोग
मिल जाते हैं,
उनमे से कुछ लोग भूल जातें हैं, कुछ याद रह जातें है!!
और उन्हीं यादों के पन्नो को चीर कर आज तुम्हारी याद आई है,
बड़े दिनों के बाद, फिर वही रंग, वही रूप, वही चाल, वही ढाल,
बदला है तो सिर्फ तुम्हारा स्वभाव, मेरा बिता कल था वो, मेरा पहला प्यार!!
मिले थे वो हमें इत्तेफाक से, मिले थे हम उन्हें इत्तफ़ाक से,
और अपने से लगने लगे पहली ही मुलाकात से!!
लेते थे कसमे हम, करते थे लाखो वादें,
कैसे भूलूँ वो बीते पल, वो भीगी-भीगी यादें!!
हो चांदनी जब तक रात, देता है हर कोई साथ, तुम मगर अंधेरों में ना छोड़ना मेरा हाथ!!
हर वक्त आंखों में आँखें डाले, लिए हाथो में हाथ,
मांगे रब से बस एक ही दुआ, थम जाए ये पल, ना बीते ये रातें!!
पहले प्यार, अब लगे प्यार भरे धोखे सा,
पहले वादें, अब लगे किसी प्यारे फरेब सा!!
पर जब देखा पीछे पलट कर, वो लम्हे...
वो बाते, कोई ना जाने, थी कैसी रातें,
वो बरसातों की यादें....
उन यादों को बरसात के साथ बहने देने में ही भलाई नज़र आती है!!
©siddharth4_air