...

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"बात उन दिनो की है"
बात उन दिनो की है,जब घर की
छत पर भी गपशप हुआ करता था।

उन दिनों न टेलीविजन न सोशल मीडिया
में लोग व्यस्त रहते बस अपनों से बातें कर लेते।

उन दिनों इन्वर्टर का ईजाद नहीं हुआ था, तभी
तो बिजली गुल होते ही छतों पर सबके जाने का होड़ था।

बात उन...