स्त्री ...........✍️
इतनी मेहनत - ओ मुश्कक्त के बाद भी
कोई कमी कैसे रह जाती है.........
सबके लिए जीते हुए भी हर लम्हा
भरे परिवार के बीच वो अकेली रह जाती है ............
कुछ नहीं कहती वो खामोश जज्बातों - सी
मगर हर रोज थोड़ा सा सुकुन हार जाती है.........
जिम्मेदारियों के बीच उलझ कर वो
अपने ख्वाबों को होठों तले ही सियें चली जाती है...
किरदार तो बहुत है मगर अहमियत खोई सी है
फिर भी मुहोब्बत में सारे गमों को उठाये
चली जाती है ..............
🖤🥀 Sonia Thakur. .....✍️
Sona - ( बदजुबान कातिब ) ✍️
कोई कमी कैसे रह जाती है.........
सबके लिए जीते हुए भी हर लम्हा
भरे परिवार के बीच वो अकेली रह जाती है ............
कुछ नहीं कहती वो खामोश जज्बातों - सी
मगर हर रोज थोड़ा सा सुकुन हार जाती है.........
जिम्मेदारियों के बीच उलझ कर वो
अपने ख्वाबों को होठों तले ही सियें चली जाती है...
किरदार तो बहुत है मगर अहमियत खोई सी है
फिर भी मुहोब्बत में सारे गमों को उठाये
चली जाती है ..............
🖤🥀 Sonia Thakur. .....✍️
Sona - ( बदजुबान कातिब ) ✍️