"अनसुने संवाद"
तुम्हारे और मेरे बीच
कुछ ऐसा था
जो कभी कहा नहीं गया,
और न ही सुना गया...
वो शब्द,
जो कागज़ पर उतरते-उतरते
चुप हो गए,
और वो मौन
जो कानों तक पहुँचते-पहुँचते
अनसुना हो गया।
शायद,
हम समय के किसी कोने में
एक-दूसरे को सुन रहे थे
जहाँ ध्वनि से अधिक
मौन का महत्व था।
...
कुछ ऐसा था
जो कभी कहा नहीं गया,
और न ही सुना गया...
वो शब्द,
जो कागज़ पर उतरते-उतरते
चुप हो गए,
और वो मौन
जो कानों तक पहुँचते-पहुँचते
अनसुना हो गया।
शायद,
हम समय के किसी कोने में
एक-दूसरे को सुन रहे थे
जहाँ ध्वनि से अधिक
मौन का महत्व था।
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