...

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शायर(आशीष ) ने मौत को क्या खूब कहा है।
जिन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे है।...

कोई तोहफा न मिला आज तक ,
और आज फूल ही फूल दीये जा रहे है ....

तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिए,
और आज कन्धे पे कन्धे दिये जा रहे थे।....

दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई,
और आज काफिला बन साथ ले जा रहे थे ।...

आज पता चला कि मौत कितनी हसीन थी,
कमबख़्त हम तो यूँ ही जिन्दगी जाये जा रहे थे।

"आशीष कुमार शर्मा "
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