चौखी कोनी लागैं....
दरवाजाॅं रै उपर सूनी तख्तयाॅं, चौखी कोनी लागैं।
अब म्हाने गाँव री सूनी बस्तयाॅं,चौखी कोनी लागैं।
ए समदर रो सीनों तो चीरती पछ चाहै डूब ज्याती,
पण कनाराॅं पर गळती कसत्याॅं चौखी कोनी लागैं।
ओ रिश्तो बौझ लागै...
अब म्हाने गाँव री सूनी बस्तयाॅं,चौखी कोनी लागैं।
ए समदर रो सीनों तो चीरती पछ चाहै डूब ज्याती,
पण कनाराॅं पर गळती कसत्याॅं चौखी कोनी लागैं।
ओ रिश्तो बौझ लागै...