...

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ज़िंदगी दो पल की मेहमा है आखिर में चली जाएगी
सांसों पर सांसों की माला बनाने से आखिर क्या होगा
ज़िंदगी दो पल की मेहमा है आखिर में चली जाएगी

वो जो बेखबर, बे मरव्वत बना फिरता है आज कल
कह दो! देख लेना याद ही बस याद मेरी रह जाएगी

माना कुछ खामियां हैं मगर मुकम्मल तो यहां कोई नहीं
मेरी दिखाई देती है जानां, किसी की राज़ रह नहीं पाएगी

हसीन सूरत से कुछ हासिल नहीं गर अखलाक़ मांद ठहरे
हुस्न-ए-सुलूक का भी मकाम है, जिस्म तो मिट्टी हो जाएगी

© Zulqar-Nain Haider Ali Khan