...

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दौलत
पैसा जिसके पास है,
उसके सर पर ताज है,
बिन दौलत जीवन निर्वाह नहीं,
यज्ञ नहीं अनुष्ठान नहीं।

बिन पैसे प्यार नहीं,
विद्या नहीं व्यापार नहीं,
रहता कोई आधार नहीं,
करते सब स्वीकार्य यही।

सब कुछ नहीं होता है पैसा,...