गुमशुदा सी रात
अजनबी सी शाम है गुमशुदा सी रात –2
किसको मैं जा कर सुनाऊं मेरे ये जज्बात ।
तुम्हारे बिखरे जुल्फो को मैं सवारता था, तुम्हे कोई देखे तो नजरें उतारता था। -2
तुम थी कुछ सिमटी सी...
किसको मैं जा कर सुनाऊं मेरे ये जज्बात ।
तुम्हारे बिखरे जुल्फो को मैं सवारता था, तुम्हे कोई देखे तो नजरें उतारता था। -2
तुम थी कुछ सिमटी सी...