किराए की जिंदगी
रहता हूं किराये के घर में,
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं।
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी,
बात मैं महल...
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूं।
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी,
बात मैं महल...