ज़ख्म.......
जख्म ऐसे दिए हैं।
सिलने से सिलेंगे नहीं।
जोड़ना चाहूं तो भी
वो इश्क के धागे।
जोड़े से जुड़ेंगे नहीं।
पड़ गई हैं रिश्तों में गांठ
ये उलझने अब
यू सुलझाने से सुलझेगी नहीं।
आ गई हैं दरमिया दरारे
अब ये दरार भरे से भरेगी नहीं।
कुरेद के जहर भरा गया है
रगों में इश्क के नाम पर
जो...
सिलने से सिलेंगे नहीं।
जोड़ना चाहूं तो भी
वो इश्क के धागे।
जोड़े से जुड़ेंगे नहीं।
पड़ गई हैं रिश्तों में गांठ
ये उलझने अब
यू सुलझाने से सुलझेगी नहीं।
आ गई हैं दरमिया दरारे
अब ये दरार भरे से भरेगी नहीं।
कुरेद के जहर भरा गया है
रगों में इश्क के नाम पर
जो...