...

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ग़ज़ल
आज की पेशकश ~

वक़्त के साथ मुकद्दर बदल गये कितने।
देखते देखते मंज़र बदल गये कितने।

हमारे पाँव की ठोकर में जो रहते थे कभी,
बुतों में ढलके वो पत्थर बदल...