...

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लक्ष्य
निकल चुका हूं एक मंजिल की तरफ
सफर थोड़ा मुश्किल जरूर है
पर मैने भी ठान लिया है अब
ये रास्ता मुझे तय करना जरूर है
थोड़ा परेशान किया हूं घरवालों को
लेकिन मैं कर लूंगा ये विश्वास अब दृढ़ है
खुद को साबित करना है अपने नजरो में
चार ऋतुओं का उधार लिया है, चुकाना इसका रीढ़ है
बदलेंगे थोड़ा खुद को कुछ दिन के लिए
कुछ दिन ख्वाइशों को रोक भी लेंगे
एक सपना देखा है अब
इसके लिए अब तो जान अपना झोंक देंगे
काबिल होंगे खुद के नजरो में
बस ऐसा ही सपना है
पूरा करना है हर कीमत पर
बस अब एक मात्र लक्ष्य अपना है
© अनुराग . सहचर