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तू जो गया
उदासियां बढ़ जाती हैं...
तो लिखा भी नहीं जाता...
ना बोला जाता है...
और सोचा भी नी जाता...
नाव डूब रही हो...
तो तैरा भी नहीं जाता...
मझधार में कोई छोड़ जाए...
तो मरा भी नहीं जाता....
हाथ खाली हो...
तो लकीर साफ दिख जाती है....
उलझन भी ना रहे...
तो उम्मीद राख़ हो जाती है।
आंसू निकला हो...
तो दर्द छुपाया नहीं जाता...
जो दफ़न हो जाए तूफ़ान....
तो चिंगार बुझाया नहीं जाता...।
रहने दे दिल में दफ़न...
इस तूफ़ान को मत छेड़।
© jyoti
तो लिखा भी नहीं जाता...
ना बोला जाता है...
और सोचा भी नी जाता...
नाव डूब रही हो...
तो तैरा भी नहीं जाता...
मझधार में कोई छोड़ जाए...
तो मरा भी नहीं जाता....
हाथ खाली हो...
तो लकीर साफ दिख जाती है....
उलझन भी ना रहे...
तो उम्मीद राख़ हो जाती है।
आंसू निकला हो...
तो दर्द छुपाया नहीं जाता...
जो दफ़न हो जाए तूफ़ान....
तो चिंगार बुझाया नहीं जाता...।
रहने दे दिल में दफ़न...
इस तूफ़ान को मत छेड़।
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