...

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ना मिल पाएगा वो बचपन फिर से
ना मिल पाएगा वो बचपन फिर से,
ना मिल पाएगी वो खुशियां फिर से,
ना होगी वो टैंशन फ्री जिंदगी फिर से,
ना मिल पाएगी वो बचपन वाली दोस्ती फिर से,
ना मिल पाएगी वो स्कूल वाली मस्ती फिर से,
ना जा पाओगे उन मेलो में फिर से,
ना झूल पाओगे उन झूलो में फिर से,
ना बना पाओगे वो कागज की बस्ती,
ना उड़ा पाओगे वो कागज के जहाज फिर से ,
ना मिल पाएंगे वो बचपन वाले मजे फिर से,
बचपन की वो यादें कहा मुम्किन है लिख पाना,
कहा मुम्किन है उस दौर से फिर से गुजर जाना,
कहा मुम्किन है उस सच्ची हसी को फिर से हस पाना।।
- हितांशी राठौड़
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