...

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विवेचना
मुझे पढ़ने वाले कम ही होते हैं,

बस मेरे नाख़ून बढ़ते जाते हैं,

शिद्दत नहीं है मेरी कलाम में शायद,

ये सोच मेरे बाल झड़ते जाते हैं।


सहायता सहयोग की अपेक्षा करती हूंँ,

तो मूँह की खाती हूँ,

लोगों के फालतू लेख भी सराहे जाते हैं।


हैं कुछ धुरंदर लेखन की कला के पुराने खिलाड़ी,

मैं भी तो दिलों में बसना...