😐😐😐
स्त्री सिर्फ तब तक तुम्हारी होती है
जब तक वो तुमसे रूठ लेती है,
लड़ लेती है आंसू बहा बहाकर
और दे देती है दो चार उलाहना तुम्हें
कह देती है जो मन में आता है उसके
बिना सोचे, बेधड़क
लेकिन जब वो देख लेती है उसके रूठने का,
उसके आंसुओं का कोई फर्क नहीं है तो...
जब तक वो तुमसे रूठ लेती है,
लड़ लेती है आंसू बहा बहाकर
और दे देती है दो चार उलाहना तुम्हें
कह देती है जो मन में आता है उसके
बिना सोचे, बेधड़क
लेकिन जब वो देख लेती है उसके रूठने का,
उसके आंसुओं का कोई फर्क नहीं है तो...