...

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याद नहीं मुझको.....
याद नहीं मुझको, वो मुझको याद कब नहीं आया,
भूल कर फिर याद आए वो दिन अब नहीं आया।

साथ बीते लम्हों का लम्स हाथों में आज भी है बाकी,
उसे भुलाकर आज तक जीने का ढब नहीं आया।

ज़ेहन के हर गोशें में उसकी यादें रक़्स करती हैं,
बे-ख़ुदी में भी भूले हों उसे ऐसा गज़ब नहीं आया।

उसकी यादों की रिदा ओढ़े भटकते रहे हम ता-उम्र,
मोहब्बत की ये पैरहन बदलने का अदब नहीं आया।

सितारों की झुरमुट में फ़लक पर चमकता है चाँद जब भी,
कर लेते हैं दिल की बातें चाँद से वो जब नहीं आया।

शिद्दत से उसके कूचे की तमन्ना है आज भी दिल में,
दिल से है मजबूर अश्कों का सावन बे-सबब नहीं आया।