...

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किरदार
लफ़्ज़ों का नशा हु वक़्त बेवक़्त
याद बहोत आउंगी
ऐब मेरे सारे संगमरमर से
खुद को तराशते जाऊंगी
तुने अकेलेपन से नवाज़ा है मुझे
तेरी हर शिकश्त पे याद आउंगी
मेरे सब्र का इम्तिहान ना लेना
गरूर पे आई तो तबाही मचाऊँगी
मेरी अना है मेरी खामोशी का सबब
ये मत समझ सब भूल जाऊंगी

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