दुःख
कौन समझता यहाँ किसी इंसान का दुख,
सबको सिर्फ बताना है अपने आप का दुख।
एक रोज तसल्ली से बैठकर बताऊंगा मैं तुम्हें,
कितना परेशान किया था उसके जाने का दुख।
दरिया को कभी वहाब के साथ बहते देखा है?
ऐसे ही बहता है आँखों से मेरे दिल का दुख।...
सबको सिर्फ बताना है अपने आप का दुख।
एक रोज तसल्ली से बैठकर बताऊंगा मैं तुम्हें,
कितना परेशान किया था उसके जाने का दुख।
दरिया को कभी वहाब के साथ बहते देखा है?
ऐसे ही बहता है आँखों से मेरे दिल का दुख।...