तन्हाई की मुस्कान
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
तन्हाई में भी अपने आपको
ऐसे ही आजमाते हैं
चाहे कोई कितना भी रहे पास
फिर भी तनहाई में रहना चाहते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
तन्हाई के आलम में हम
ऐसे ही रहना चाहते हैं
क्योंकि तन्हा रह कर ही हम
अपने आपको जान पाते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
दिन हो या रात
हम तभी तन्हाई में खो...
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
तन्हाई में भी अपने आपको
ऐसे ही आजमाते हैं
चाहे कोई कितना भी रहे पास
फिर भी तनहाई में रहना चाहते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
तन्हाई के आलम में हम
ऐसे ही रहना चाहते हैं
क्योंकि तन्हा रह कर ही हम
अपने आपको जान पाते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।
दिन हो या रात
हम तभी तन्हाई में खो...