हृदय परिवर्तन
जब पाप की आंँधी बह निकले,
दूषित हो जाये सोच,
दूषित हो जाये ये मन,
उस क्षण ये प्रण कर लो,
करोगे अपना हृदय परिवर्तन।
बात हो प्राकृतिक हानि की,
इंसान के गिरते चरित्र की,
या बात हो नैतिकता की,
बद्द से बत्तर होते हालात हैं,
कर लो आत्म मंथन।
नश्वर शरीर का सफ़र है दोस्तो,
ना जाने कब अंत हो जाए,
आत्मिक गुणो को जान कर,
हर आत्मा को निखारा जाए।
ठान लो जो एक बार,
तो तुम भी ला सकते हो परिवर्तन।
शुरूवात भल्ले ही मुझसे हो,
महसूस सभी को होगा ये स्पंदन,
जब पाप की आंँधी बह निकले,
तब कर लो अपना हृदय परिवर्तन।
© Haniya kaur
दूषित हो जाये सोच,
दूषित हो जाये ये मन,
उस क्षण ये प्रण कर लो,
करोगे अपना हृदय परिवर्तन।
बात हो प्राकृतिक हानि की,
इंसान के गिरते चरित्र की,
या बात हो नैतिकता की,
बद्द से बत्तर होते हालात हैं,
कर लो आत्म मंथन।
नश्वर शरीर का सफ़र है दोस्तो,
ना जाने कब अंत हो जाए,
आत्मिक गुणो को जान कर,
हर आत्मा को निखारा जाए।
ठान लो जो एक बार,
तो तुम भी ला सकते हो परिवर्तन।
शुरूवात भल्ले ही मुझसे हो,
महसूस सभी को होगा ये स्पंदन,
जब पाप की आंँधी बह निकले,
तब कर लो अपना हृदय परिवर्तन।
© Haniya kaur
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