“अंत में प्रेम बचना चाहिए”
चाहे छोड़ जाए कोई सात समंदर पार
चाहे मोड़ आए रास्तों में हज़ार
सबकुछ ख़त्म होने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
आ जाए भले रिश्तों में दरार
कर दो चाहे तुम उससे इनकार
हर रिश्ते के ख़त्म होने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
तोड़ दो चाहे समाज की रस्में
तोड़ दो ली हुई सारी कसमें
हर वादा टूटने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
ख़त्म है अब हर नाता उससे
वो मन को नहीं भाता अब पहले जैसे
मिलकर बिछड़ने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
न वापस लौटने की उम्मीद है उससे
न मुझे ले जाने की आस है उससे
हर उम्मीद बिखरने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
न होती हों बातें पहले सी
न होती हों मुलाकातें अब वैसी
हर बार इंतज़ार के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
नाराज़ कर ज़िंदगी को अपने
मौत से रुबरू होने के देख सपने
ज़िंदगी से हार मानने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
और अंत में प्रेम ही बचना चाहिए....
© ढलती_साँझ
चाहे मोड़ आए रास्तों में हज़ार
सबकुछ ख़त्म होने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
आ जाए भले रिश्तों में दरार
कर दो चाहे तुम उससे इनकार
हर रिश्ते के ख़त्म होने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
तोड़ दो चाहे समाज की रस्में
तोड़ दो ली हुई सारी कसमें
हर वादा टूटने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
ख़त्म है अब हर नाता उससे
वो मन को नहीं भाता अब पहले जैसे
मिलकर बिछड़ने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
न वापस लौटने की उम्मीद है उससे
न मुझे ले जाने की आस है उससे
हर उम्मीद बिखरने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
न होती हों बातें पहले सी
न होती हों मुलाकातें अब वैसी
हर बार इंतज़ार के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
नाराज़ कर ज़िंदगी को अपने
मौत से रुबरू होने के देख सपने
ज़िंदगी से हार मानने के बावजूद
अंत में प्रेम बचना चाहिए...
और अंत में प्रेम ही बचना चाहिए....
© ढलती_साँझ