डोर
डोर डोर से बनते हैं रिश्ते
उस डोर को कभी न उलझने देना
जो कभी उलझ जाए वो
उसे अपने हाथ से सुलझा लेना
रिश्तों में कभी दुरिया आए
तो कस के डोर को खीच लेना
नए धागे के मिलने से
पूरानो को कभी न छोड़ देना
जिंदगी में मोती की तरह
खुशियों को पिरोते जाना
जब डोर बार बार हाथ से छूटे
तो उसका हार बना के आगे बढ़ जाना
जब वक्त मुश्किल हो
तो उन डोरियों को तुम परख लेना
जो तुत जाए या जिसके मोती झर जाए
तो तुम भी उस डोर की कीमत कम कर देना
© Pooja
उस डोर को कभी न उलझने देना
जो कभी उलझ जाए वो
उसे अपने हाथ से सुलझा लेना
रिश्तों में कभी दुरिया आए
तो कस के डोर को खीच लेना
नए धागे के मिलने से
पूरानो को कभी न छोड़ देना
जिंदगी में मोती की तरह
खुशियों को पिरोते जाना
जब डोर बार बार हाथ से छूटे
तो उसका हार बना के आगे बढ़ जाना
जब वक्त मुश्किल हो
तो उन डोरियों को तुम परख लेना
जो तुत जाए या जिसके मोती झर जाए
तो तुम भी उस डोर की कीमत कम कर देना
© Pooja