...

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मेरा मरणा उसकी शादी

मेने इस जमाने मे उसे जमाना मानकर इश्क किया,
उसके इश्क ने मेरी पूरी जवानी को बर्बाद कर दिया
ओर कई वर्षों तक तेरे इश्क़ ने राह से बेराह रखा।
मेरा मरना उसकी शादी हुई ,
मेरी साँसे निकलना उसके फेरे लेना,
मेरा जिस्म से लहू निकलकर जमी पर जमा
ओर उसके हाथों पर मेहंदी की रचना।
मेरे खून के छापे दीवार पर लगना,
उसका हल्दी लगाना,
उसके यहां शहनाई की शोर है
मेरे यहां खामोशी का घर करना,
हम तो अब कब्र में शुकुन से सो जाएंगे,
तूमको ये रेशम के बिस्तर भी तन्हा रखेंगे।
यह हादसा जो मेरे साथ हुआ
इस जमाने मे कोई नई बात तो नही है,
इश्क के हादसे पहले भी होते थे अब भी हो रहे और होते रहेंगे इस जमाने मे।
© Verma Sahab