तुझे जो भी चाहे उसे तू दग़ा दे
तुझे जो भी चाहे उसे तू दग़ा दे
क्या चाहता है ये तो बता दे
खोया हुआ है या खो गया है
दिल चाहता है तुझको वफ़ा दे
रोता है तू क्यूँ ग़लती पे मेरी
हाज़िर है मुजरिम जी भर सज़ा दे
ख़्वाहिश है मेरी ये पूरे दिल से
मेरी गुज़र हो और तू सदा दे
हूँ मैं शहर में मेहमान तेरे
क्या ही मज़ा हो तू जो घुमा दे
डरता हूँ कुछ सामने आने से
ज़ैग़म को फिर तू ना रुला दे
© words_of_zaiغम
क्या चाहता है ये तो बता दे
खोया हुआ है या खो गया है
दिल चाहता है तुझको वफ़ा दे
रोता है तू क्यूँ ग़लती पे मेरी
हाज़िर है मुजरिम जी भर सज़ा दे
ख़्वाहिश है मेरी ये पूरे दिल से
मेरी गुज़र हो और तू सदा दे
हूँ मैं शहर में मेहमान तेरे
क्या ही मज़ा हो तू जो घुमा दे
डरता हूँ कुछ सामने आने से
ज़ैग़म को फिर तू ना रुला दे
© words_of_zaiغम