...

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अपना बचपन.....
सुंदर चितवन,
तीव्र पवन- सा
चेतन ये मन।
प्रकृति को करे
बन्द खुद में,
झपक- झपक ये नयन।
लहर-लहर केश,
संग खेलत पवन।
चिन्ताहिन जीवन,
खेल-कूद करत
पग-पग,
गुंजत हँसी
गगन- गगन।
रंग बिरंगे सपनों में,
खिलखिलाता
अपना ये बचपन।




© Kavyaprahar