दर्द तो बहुत होता है
दर्द तो हमको भी होता है
दर्द... तो हमको भी होता है!
यह ज़ालिम जिंदगी किस मोड़ पर ले आई यह समझ कतई नहीं आ रहा है!!
कुछ चाह रहे हैं हम, कुछ... चाह रहे हैं हम लेकिन उस चाहत का कोई भाव ही नहीं दिया जा रहा है!
मन आजकल बहुत बावड़ा हो गया है,
यह सिर्फ झील के, किनारे जाना चाह रहा है, वहां खड़े होकर चिल्लाना छा रहा है,
अपने दर्द को, इस तन्हाई को, खुले आसमान के साथ बांटना चाह रहा है!
इस प्रकृति को अपना दोस्त बनाना चाह रहा है क्योंकि यह ही सिर्फ एक है जो उसे आघात नहीं देगी, जो यह इंसान कब से किए जा रहे हैं!
यह मन सूरज के किरणों से चमकती हुई...
दर्द... तो हमको भी होता है!
यह ज़ालिम जिंदगी किस मोड़ पर ले आई यह समझ कतई नहीं आ रहा है!!
कुछ चाह रहे हैं हम, कुछ... चाह रहे हैं हम लेकिन उस चाहत का कोई भाव ही नहीं दिया जा रहा है!
मन आजकल बहुत बावड़ा हो गया है,
यह सिर्फ झील के, किनारे जाना चाह रहा है, वहां खड़े होकर चिल्लाना छा रहा है,
अपने दर्द को, इस तन्हाई को, खुले आसमान के साथ बांटना चाह रहा है!
इस प्रकृति को अपना दोस्त बनाना चाह रहा है क्योंकि यह ही सिर्फ एक है जो उसे आघात नहीं देगी, जो यह इंसान कब से किए जा रहे हैं!
यह मन सूरज के किरणों से चमकती हुई...