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दोस्तो की दोस्ती
हॉस्टल से कूद के ,ढाबा का क्या स्वाद था।
समोसे वाली दुकान में टीचर्स से डरने का अलग ही अंदाज था।
अगर क्लासमेट को कोई हाथ भी लगाता , सस्पेंड हो या पिटाई उसका भी न खौफ था ।
बोर्ड हो या कोई एग्जाम मस्ती का अलग ही अंदाज था।
हम दोस्तो की दोस्ती का कोई न जवाब था ।
समोसे वाली दुकान में टीचर्स से डरने का अलग ही अंदाज था।
अगर क्लासमेट को कोई हाथ भी लगाता , सस्पेंड हो या पिटाई उसका भी न खौफ था ।
बोर्ड हो या कोई एग्जाम मस्ती का अलग ही अंदाज था।
हम दोस्तो की दोस्ती का कोई न जवाब था ।
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