...

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मुद्रा नियमित शिक्षण
येन केन धन अर्जन हीं हो ,
जब शिक्षा का लक्ष्य प्रधान,

मुद्रा नियमित शिक्षण और,
द्रव्यार्जन को मिलता सम्मान।

ज्ञान की वृद्धि बोध की शुद्धि ,
का शिक्षक को ध्यान नहीं,

प्रज्ञा दोष के निस्तारण का ,
शिक्षक को...