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दिल और दिमाग
कभी कभी दिल दिमाग के बीच हम फँस जाते हैं.
उस समय चुप रहकर कुछ देर तक अकेला रहना मुनासिब होता है..
कोई इसे बेरुखी समझे या बदतमीजी
लेकिन हम इसे लिहाज़ समझते है.
किसीको कुछ समझाना नहीं चाहते
बस अल्फाजों को पन्ने में उतार कर सुकून पाते हैं
© tejsayari
उस समय चुप रहकर कुछ देर तक अकेला रहना मुनासिब होता है..
कोई इसे बेरुखी समझे या बदतमीजी
लेकिन हम इसे लिहाज़ समझते है.
किसीको कुछ समझाना नहीं चाहते
बस अल्फाजों को पन्ने में उतार कर सुकून पाते हैं
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