...

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“ एक मानव ऐसा भी “
जन्म पर मेरे तू दीप क्यों नहीं जलाती मां |
हर बच्चे की मां जैसे तू मुझे क्यों नहीं अपनाती मां ||
पशुभी अपना हर बच्चा अपनाता है मां |
तो तू् मुझे क्यों अंजान गली छोड़ जाती है मां ||
हर बच्चे के दुःख में रोती है उसकी मां |
जब दर्द हो उसे तो उसकी दवा होती है मां ||
तू् क्यों मुझे दःखु में छोड़ जाती है मां |
क्यों इस दुनिया से इतना दर्द दिलाती है माँ ||
कर यकीन मैं भी तेरी ही जिस्म का टुकड़ा हूँ |
देख लिए मैं भी पिता सा मुखड़ा हूँ ||
मेरे किसी अपने की जुबा पर मेरी बात नहीं होती |
एक तेरे छोड़ देने से...