...

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दिल
आज शिकवे शिकायतें करने का दिल कर रहा है ,
अपने ही दिल को दिल समझने का दिल कर रहा है !
कल तक जो धड़कता था सिर्फ़ अपने लिए ,
अब तेरे लिए ,तेरा बनने का दिल कर रहा है !
जा रहा था न जाने क्यों किस ओर ,
अब तेरी ओर हर क़दम बढ़ाने का दिल कर रहा है !
कोई अपनी भी ख़ैर ख़बर माँगे और दे ,
जाने क्यों दिल खबरिया होने का दिल कर रहा है !
झटक देते थे प्यार की हर बूँद को बालों से ,
अब बालों में बूँदें समेटने का दिल कर रहा है !
घंटों चुप रहकर भी जो बीत जाते थे लम्हे ,
अब हर लम्हे तुमसे बात करने को दिल कर रहा है !
क्या साथ निभाने का करते हो हम से वादा ,
दूर क्षितिज तक साथ निभाने का दिल कर रहा है !
साथ-साथ ही रह कर भी जो मीलों की दूरियां थी ,
अब हर क़दम साथ जीने मरने का दिल कर रहा है !
दिल के ज़ख्म ख़ुद ही कुरेद कर ख़ुश होती थी ,
आज ज़ख्मी दिल पर मरहम लगाने का दिल कर रहा है !
मिले ना मिले ,अब ये क़िस्मत की ही बात है ,
इस जनम और हर जन्म मिलने का दिल कर रहा है !!
बस आज शिकवे शिकायतों का दिल कर रहा है••••

© गुलमोहर